रविवार, 10 अक्तूबर 2010

नारीशक्ति और नशाबंदी

समाज के विकास में आज बहुत बड़ी बाधा है तो वह है, नशाखोरी। नशा, मनुष्य का हर दृष्टी से नशा है, फिर लोग जागरूक होते नजर नहीं आ रहे हैं। यह सबसे बड़ा चिंता का विषय है। नशाखोरी की चपेट में युवा वर्ग ज्यादा आ रहे हैं। इससे निश्चित ही समाज का लगातार विघटन हो रहा है। नशाखोरी को रोकने सरकार की रूचि भी कहीं नजर नहीं आती। ऐसे में हमें लगता है, नारीशक्ति ही समाज की इस समस्या को खत्म कर सकती है। वैसे तो नारियों अबला कहा जाता है, लेकिन मेरा मन्ना है की जब नारीशक्ति जागृत हो जाती हैं तो फिर समाज में कोई भी कुरीति टिक नहीं पाती।
इस बात को सिध्ध कर नारियों ने कर दिखाया है। पिछले कुछ समय से शराबखोरी के चलते कई घर तबाह होते देखे गए हैं। इस स्थिति में अब नारी जाग गई हैं। इसी का परिणाम है की जगह-जगह शराब की वैध और अवैध बिक्री को लेकर आन्दोलन शुरू हो गए हैं। छत्तीसगढ़ के किसी न किसी इलाके में यह बात इन दिनों सुनने में आ रही है की स्व सहायता समूह समेत अन्य वर्ग की महिलाओं ने शराब बंदी के मोर्चा खोला। अभी हाल ही में रायपुर के अलग-अलग क्षेत्र की महिलाएं मुख्यमत्री डॉ रमण सिंह के जनदर्शन कार्यक्रम में शिकायत लेकर पहुंची। यहाँ मुख्यमंत्री ने महिलाओं की परेशानियों को गंभीरता से लिया और इस मामले में करवाई के निर्देश दिए। साथ ही अवैध बिक्री पर रोक लगाने की बात कही।
ऐसा माहौल पहली बार नहीं बना है, जब महिलाओं ने नशाखोरी का विरोध ना किया हो। वैसे भी नशाखोरी से सबसे ज्यादा महिलाएं ही प्रभाविर होती हैं। ऐसे में महिलाओं की शराब के खिलाफ मोर्च खोला जाना कई मायनों में अहम् है। यह बात भी सनातन काल से कही जाती रही है की महिलाएं ही समाज सुधरने में मुख्या भूमिका निभाती रही हैं।
नशाखोरी के चलते अपराध में लगातार वृद्धि हो रहे हैं, यह बात भी प्रमाणित हो गई है। ऐसे में यदि सरकार नशाखोरी को रोकने पहल ना करे तो भला इसे क्या कहा जा सकता है। सरकार कहती है की आकारी ठेके से करोड़ों की आय होती है। हमारा कहना है की क्या लोगों के घरों तबाह करके कमाए गए रुपयों की कोई अहमियत रह जाती है। वैसे भी छत्तीसगढ़ में खनिज का अपार भण्डार है, लेकिन सरकार है की रायल्टी चोरी को रोकने कोई कदम नहीं उठती, लेकिन समाज को बर्बाद करने के लिए हर साल शराब की दूकान बढ़ाये जा रहे हैं। ऊपर से गांवों में जिस तरह से अवैध ढंग से शराब की बिकवाली होती है, उससे पूरी सरकार कटघरे में कड़ी नजर आती है। मगर अफसोस इस राज्य में विपक्ष में बैठी कांग्रेस के नेता इस मुद्दे को उठाने के बजाय मूकदर्शक बने बैठे हैं। ऐसे हालात में नारी शक्ति को ही जागरूक होकर नशाबंदी के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी। नहीं तो अभी केवल घर तबाह हो रहे हैं, बाद में समाज का क्या स्थिति बनेगी, कहा नहीं जा सकता।

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