सोमवार, 4 जुलाई 2011

‘भगवान जगन्नाथ जी का मूल स्थान है शिवरीनारायण’

छत्तीसगढ़ के गुप्त प्रयाग के नाम से विख्यात धार्मिक नगरीशिवरीनारायणमें हर बरस निकलने वालीरथयात्राकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक है और दशकों से रथयात्रा की परिपाटी चलती रही है। शिवरीनारायण में निकलने वाली रथयात्रा की महिमा इसलिए और बढ़ जाती है, क्योंकि पुरी ( उड़ीसा ) में विराजे भगवान जगन्नाथ जी का मूल स्थानशिवरीनारायणको माना जाता है। यही कारण है कि रथयात्रा के दिन शिवरीनारायण में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है तथा क्षेत्र के सैकड़ों के लोग यहां दर्शनार्थ पहुंचते हैं।
दरअसल, शिवरीनारायण, रायपुर जिले से लगे होने तथा जांजगीर-चांपा जिले के अंतिम छोर में बसे होने के कारण आसपास गांवों के लोगों का हुजूम रथयात्रा देखने उमड़ता है। जिस तरह पुरी में मनाई जाने वाली रथयात्रा की प्रसिद्धि देश-दुनिया में है, उसी तरह शिवरीनारायण में मनने वाली रथयात्रा की अपनी पहचान छत्तीसगढ़ में कायम है। इससे इस बात से भी समझा जा सकता है कि दशकों से चली आ रही इस परंपरा के प्रति लोगों में असीम श्रद्धा है और वे पूरी तन्मयता के साथ भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। भगवान के एक दर्शन पाने वे हर पल लालायित नजर आते हैं और जब रथयात्रा निकलती है, उस दौरान भगवान के दर्शन करने तथा प्रसाद पाने के लिए सैकड़ों की संख्या में भीड़ जुटती है।
इस बारे में शिवरीनारायण के मठाधीश राजेश्री महंत रामसुंदर दास जी का कहना है कि प्रदेश में तो शिवरीनारायण से निकलने वाली रथयात्रा की पहचान दशकों से कायम है। साथ ही कई अन्य राज्यों से भी साधु-संत पहुंचते हैं। रथयात्रा के इतर शिवरीनारायण में श्रद्धालु दर्शनार्थ पहुंचते रहते हैं, मगर रथयात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन का फल श्रद्धालुओं को उतना ही मिलता है, जितना इस दिन पुरी के भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन से पुण्य मिलता है, क्योंकि शिवरीनारायण, भगवान जगन्नाथ जी का मूल स्थान है। उन्होंने बताया कि माघी पूर्णिमा के समय शिवरीनारायण में मेला लगता है, जो छग का सबसे बड़ा मेला है। इसमें उड़ीसा, झारखंड, मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों के लोग आते हैं। माघी पूर्णिमा के दिन त्रिवेणी संगम में शाही स्नान साधु-संत करते हैं और लोगों की भी भीड़ उमड़ती है, क्योंकि भगवान जगन्नाथ, एक दिन के लिए शिवरीनारायण मंदिर में विराजते हैं।
उल्लेखनीय है कि शिवरीनारायण की अपनी एक सांस्कृतिक व धार्मिक विरासत है और इसीलिए छग सरकार ने इसे ‘धार्मिक नगरी’ घोषिेत किया है। साथ ही छग में शिवरीनारायण को गुप्त प्रयाग के रूप में जाना जाता है और यह भी किवदंति है कि भगवान राम, इसी रास्ते से होकर गए थे, जिसके प्रमाण यहां के जानकार आज भी बताते हैं। जैसा रामायण में भगवान राम का ‘वरगमन’ का उल्लेख है, कुछ उसी तरह से शिवरीनारायण के साथ धार्मिक मान्यता भी जुड़ी हुई हैं। यह भी कहा जाता है कि भगवान राम को वनगमन के समय यहीं माता शबरी ने बेर खिलाए थे, इसके कारण इस नगरी का नाम ‘शबरीनारायण’ पड़ा। हालांकि, बाद में इसे शिवरीनारायण के तौर पर पुकारा जाने लगा।
शिवरीनाराण में ऐसी कई स्थितियां हैं, जिससे पता चलता है कि भगवान राम ने नाव पर सवार होकर नदी पार की थी। कालांतर में यही नदी, महानदी अर्थात चित्रोत्पला नदी कहलायी। नदी के उस पार एक बरगद का पेड़ है, जहां नाव जाकर रूकी थी, ऐसा भी जानकार बताते हैं। इस तरह ऐसे कई प्रमाण जानकार बताते हैं, जिसके कारण इस धार्मिक नगरी के प्रति लोगों की श्रद्धा बढ़ती जा रही है।
शिवरीनारायण में तीन नदियों का त्रिवेणी संगम है, जहां महानदी ( चित्रोत्पला ), जोंक व शिवनाथ नदी एक जगह पर आकर मिली हैं। इसके कारण भी शिवरीनारायण की महत्ता उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद के सामान है, क्योंकि वहां तर्पण के बाद पुण्य आत्मा जितनी शांति मिलती है, कुछ ऐसी ही मान्यता त्रिवेणी संगम में ‘तर्पण’ का है। इसी के चलते छग ही नहीं, वरन अन्य प्रदेशों से भी लोगों का तर्पण के लिए आना होता है।
बहरहाल, शिवरीनारायण की धार्मिक मान्यता बढ़ती जा रही है। साथ ही प्रसिद्धि भी, क्योंकि पर्यटन सिटी बनने के बाद यह देश के नक्शे पर आ गया है। भविष्य में सरकार इस नगरी के विकास पर ध्यान दे तो निश्चित ही आने वाले दिनों में दर्शनार्थियों का रेला उमड़ेगा।


छग की काशी ‘खरौद’ की भी महत्ता
खरौद को छत्तीसगढ़ की काशी के नाम भी जाना जाता है। यहां भगवान लक्ष्मणेश्वर भगवान विराजे हैं। भगवान लक्ष्मणेश्वर की महत्ता इसलिए है कि यहां लक्षलिंग है, जिसमें एक लाख छिद्र हैं और यहां सच्चे मन से जो भी मन्नतें मांगी जाती हैं, वह पूरी होती हैं। खरौद में महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है, क्योंकि इस दिन हजारों की संख्या में लोग, दर्शन के लिए पहुंचते हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान लक्ष्मणेश्वर के दर्शन करने से शुभ फल प्राप्त होता है। इसके अलावा सावन माह तथा तेरस के समय भी भगवान के दर्शन के लिए भक्तों की कतार लगी रहती है।

1 टिप्पणी:

Rahul Singh ने कहा…

कण-कण में भगवान.