शिवरीनारायण के मट्ठ मन्दिर द्वारा फरवरी २००९ से गंगा महा आरती शुरू की गई है। माघी पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होने वाले छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े मेले के समय यह गंगा आरती प्रारम्भ की गई थी। तब से लेकर अब तक आरती लगातार हो रही है। चाहे बारिस हो या फिर अंधड़ आए, किसी भी स्थिति में आरती कराइ जाती है। मट्ठ मन्दिर में रहने वाले साधू संतों के द्वारा यह जिम्मेदारी निभाई जाती है और वे अपने दायित्व को बखूबी निभा रहे हैं।
शिवरीनारायण में महा गंगा आरती की जो शुरुआत हुई है, ऐसा प्रयास प्रदेश में पहले कभी नहीं हो सका है। राज्य में गंगा आरती कराने की ऐसी परिपाटी शिवरीनारायण से शुरू हो सकी है। पिछले छः माह से रोज शाम को आरती हो रही है। शाम होते ही मट्ठ मन्दिर से साधू संतों की टोली निकलती है और वे सीधे बावा घाट पहुँचते हैं। इस महा आरती में शामिल होने दूर-दूर से लोग आते हैं और शिवरीनारायण की पुण्य धरा में पहुँच कर ख़ुद को धन्य महसूस करते हैं।
इस बारे में शिवरीनारायण मट्ठ मन्दिर के मठ धीस राजेश्री महंत रामसुंदर दास ने बताया की शिवरीनारायण भगवान् की कृपा से जो आरती शुरू की गई हैं, ऐसी परिपाटी छत्तीसगढ़ में नहीं हैं। केवल शिवरीनारायण में पहली बार यह प्रारम्भ हुई हैं। देश के बड़ी धार्मिक नगरी हरिद्वार, बनारस, काशी सहित कई धामों में यह आरती का सिलसिला लंबे से जरी हैं। उनका कहना हैं की शिवरीनारायण में जारी गंगा महा आरती अनवरत जारी रहे, ऐसी कामना हैं, जिससे नगर व भगवान् शिवरीनारायण का नाम देश में ही नहीं, वरन दुनिया में फैले।
इधर यह जानना भी जरुरी हैं की शिवरीनारायण को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पर्यटन स्थल घोषित किया गया हैं और यहाँ के विकास के लिए करोड़ों रूपये खर्च भी किए जा रहे हैं। हालाँकि इस धार्मिक नगरी का जो विकास की बातें कही गई थी, वह आज भी अधूरी हैं। यहाँ के नागरिकों की आस बंधी हैं की शिवरीनारायण का नाम पर्यटन व दर्शनीय स्थल को लेकर सितारे की तरह चमके।
मेरी भी यही कामना है।
भगवान् शिवरीनारायण हमेशा सदा कृपा करे।
जय भगवान् शिवरीनारायण.... सदा सहाय हो।
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